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हरिहरपुरी की कुण्डलिया




हरिहरपुरी की कुण्डलिया


रोना नहीं कदापि है, हँस कर संकट काट।

हँस कर जीना सीख कर,दुख की खाईं पाट।।

दुख की खाईं पाट, स्मरण मत करना दुख का।

दुख को जाना भूल, सहज लक्षण है सुख का।।

कहें मिसिर कविराय, दुखी जीवन क्या ढोना।

दुख को भी सुख जान, कभी दुख में मत रोना।।






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1 Comments

Sachin dev

31-Dec-2022 06:07 PM

Superb

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